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Diet rules in ayurveda : आयुर्वेद में आहार नियम

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ऐसी कोई बीमारी नहीं है जिसे आहार से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन कई बार आपको पता होता है कि क्या खाना चाहिए लेकिन कब और कितना खाना चाहिए इसका पता नहीं होता है। भोजन सही समय पर, सही मात्रा में और नियमित रूप से लेना चाहिए ताकि खाया हुआ भोजन आपको पोषण दे।

Diet rules in ayurveda : आयुर्वेद में आहार नियम –
नियम 1 : अपने पेट के चार हिस्से करें। इसके दो भाग ठोस भोजन के लिए रखने चाहिए, एक भाग तरल भोजन के लिए और शेष एक भाग वायु संचार के लिए खाली रखना चाहिए, ताकि अग्नि ठीक से जले और भोजन ठीक से पच जाए। भोजन ठीक से पचने पर ही उसके पोषक तत्वों से शरीर को लाभ होता है और स्वास्थ्य बना रहता है।

नियम 2 : सुबह उठते ही आधा गिलास गर्म पानी में एक नींबू निचोड़ कर पियें। नींबू का रस सीधे हमारे पाचन तंत्र पर काम करता है और पुरानी पित्त, साथ ही कब्ज जैसी पाचन संबंधी शिकायतों को कम करता है।

नियम 3 : भोजन से आधा से आधा घंटा पहले एक गिलास पानी पियें। तो खाना ठीक से पचता है।

नियम 4 : कोई भी फल भोजन से ठीक पहले या बाद में नहीं लेना चाहिए। ऐसा करने से बार-बार मतली या नाराज़गी होती है, और फल में पोषक तत्व ठीक से अवशोषित नहीं हो पाते हैं। क्‍योंकि दोनों का पाचन समय अलग-अलग होता है।

नियम 5 : बहुत जल्दबाजी में या बहुत धीरे-धीरे भोजन न करें। इसका पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

नियम 6 : लंच के तुरंत बाद ज्यादा देर तक न सोएं। ऐसा बार-बार किया जाए तो मोटापा बढ़ता है और पाचन क्रिया भी बिगड़ जाती है।

नियम 7 :  सुबह और दोपहर का भोजन दो घास अधिक हो सकता है, लेकिन रात का भोजन छोटा होना चाहिए और सूर्यास्त से पहले कर लेना चाहिए। रात को देर से खाना खाने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है और कई तरह के लक्षण सामने आते हैं।

नियम 8: खाना ताजा बना हो। फ्रिज ठंडा नहीं होना चाहिए। साथ ही फ्रिज में रखा पानी और बर्फ शरीर की गर्मी को बढ़ाता है।

नियम 9 :  जब तक पहला खाना पच न जाए यानी भूख न लगे तब तक अगला खाना नहीं खाना चाहिए। ऐसा करने में विफलता से पाचन संबंधी शिकायतें और अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। दो भोजन के बीच कम से कम चार घंटे का अंतर होना चाहिए।

नियम 10 : लंच के बाद आधा कटोरी छाछ पिएं। इससे पाचन क्रिया अच्छी रहती है और अपच की समस्या नहीं होती है।

नियम 11: अपने दैनिक आहार में चार-चार चम्मच घी लें। (सिर्फ ब्रेकआउट के लिए नहीं) घी पाचन अग्नि को प्रज्वलित करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखता है और एक बेहतरीन रसायन भी है। देशी गाय का घी सबसे अच्छा होता है, लेकिन घर का बना भैंस का घी भी अच्छा होता है।

नियम 12 : दूध और फल एक साथ न लें। जैसे फुट कस्टर्ड, शिकारन। अगर इस आदत को बार-बार खाया जाए तो इससे त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं। क्योंकि आयुर्वेद में इसे विपरीत आहार माना गया है।

नियम 13 : खाना ज्यादा रूखा, ज्यादा तैलीय, ज्यादा गर्म, ज्यादा ठंडा, ज्यादा चिकना नहीं होना चाहिए। इसका भरपूर सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। यदि आप अपने दैनिक आहार को आहार नियमों के अनुसार बनाए रखेंगे तो निश्चित रूप से आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

Above all  diet rules in ayurveda..please do follow.

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